Skip to main content

Posts

Showing posts from July, 2020

परिवार के स्तंभ

परिवाि के स्तंभ  विश्ि के  समाज शिल्पियों न मनष्य क  जीिन को अधिकाधिक उन्नत एिं  विकशसत बनाने के शिए भौततक और आध्याल्ममक क्षेत्रों से जोडा । िमम,अर्म, विज्ञान, िर्म-व्यिस्र्ा, आश्रम आदि प्रकार के प्रयोग ककए। िेककन जीिन  में विशभन्न िहिओ का एकीकरर् करत हए उन्होंन िररिार सस्र्ा का तनमार् ककया । परिवाि क दो स्तभ होत ह परुष औि नािी। इन क बिबत िर ही जीिन और िररिार का तनमार् होता ह। यह स्तंभ वास्तव में शिव-िक्तत, चेतना- ऊर्ाा, प्रेम- अर्ा के स्वरूप समझे र्ा सकते हैं। इस स्तंभ की न ंव है आपस  सामंर्स्य, एक दसि क पिक होने का औि एक दसि को पिक बनान का।   अध्ययन- शिक्षा, व्यल्ततमि, िाररिाररक जीिन, कररयर, और राजनीततक कायमक्रमों सदहत कई क्षेत्रों में  िोनों शिंगों क अनभि, रुची और विश्िास  शभन्न- शभन्न है । शिंग असमानता अिग-अिग सस्कततयों म शभन्न-शभन्न तरीकों से  अनभि की जाती ह।  उनकी ववशभन्नताओं औि  असमानताओं का कािण र् व- ववज्ञान, मनोववज्ञान, काल एवं परिक्स्र्तत  औि सास्कततक मानदड ह। ककत अन्य कई असमानताए सामाक्र्क रूप स तनशमत प्रत त होत  हैं । ऐसा ही एक सामाल्जक कारर् है नारीिाि। ल्जसमें अधिकांि स